आज काफी दिनों बाद मेरे मन में उसके बारे में कुछ बातें चल रही थीं। कुछ देर के लिए ही सही, पर उसके बारे में सोचकर मैं खुद को आईने में देखने चला गया। वैसे मैं ये क्यों कर रहा था ये मेरी समझ से परे था, पर जब मैं अब उस पल को याद करता हूँ तो हंसी आ जाती है। खैर, मैं कई दिनों बाद खुद को इस तरह से आईने में देख रहा था। मुझे याद है, मेरे चेहरे पर उस समय हल्की सी मुस्कान थी, और मैं उसे याद कर रहा था। मेरी मुस्कान के पीछे उसकी मीठी यादें थीं जिन्हें मैंने अपने हिसाब से खुद ही बुना था।
वैसे हम दोनों आज तक कभी मिले नहीं हैं बस बातें होती हैं और उन्हीं बातों में मैं उसे देखता हूँ। वह मेरे ख्याल से बहुत सुंदर है शायद रंगत में भी और स्वभाव में भी। उसकी बातें बहुत सुलझी हुई लगती हैं, शायद इसीलिए मुझे वह पसंद है। उससे बातें करना और अपना हाल-ए-दिल बयां करना मुझे अच्छा लगता है। कभी-कभी वह मुझे डांटती भी है पर उसकी डांट में भी एक अलग तरह का प्यार झलकता है। इसलिए मैं जानबूझ कर और भी नखरे करता हूँ।
ये जो तस्वीर देख रहे हैं उसी लड़की की है। हम दोनों में बहुत सी बातें कॉमन हैं जैसे उसे भी मेरी तरह जंगल, नदी-झरने, और पहाड़ पसंद हैं। सच कहूँ तो उसमें भी थोड़ा पागलपन भरा है। उसकी एक ख्वाहिश है कि वह जंगल में रहना चाहती है, जहाँ कोई आता-जाता न हो। सोचो ऐसा कोई सोचता है क्या? हाँ, मैं ऐसा सोचता हूँ क्योंकि मुझे भी जंगल पसंद हैं। इसीलिए जब भी मुझे अबूझमाड़ के घने जंगलों में जाने का मौका मिलता है तो मैं उसे छोड़ता नहीं। घने जंगलों में रात बिताना और घूमना मुझे बहुत पसंद है।
खैर, हम आगे बढ़ते हैं। एक दिन हम दोनों कॉल पर बात कर रहे थे। बातों-बातों में उसने बताया था कि जब वह घर से दंतेवाड़ा जाती थी तो रास्ते में पहाड़ों से घिरा हुआ एक घर दिखता था। जब भी वह उसे देखती थी, तो अक्सर वहाँ जाने के बारे में सोचती थी। यह सुनकर मैं भी एक पल के लिए उसकी बातों में खो गया था। उस वक्त मेरे मन में एक ही ख्याल था कि काश मैं भी उस जगह को देख पाता। खैर पता नहीं मैं उस जगह को देख पाऊँगा या नहीं क्या पता कल हो न हो।
वैसे हमारी पहचान तीन महीने पहले सोशल साइट पर हुई थी पर उससे बात करके कभी महसूस नहीं होता कि हम हाल ही में मिले हैं।
