मैंने अपनी बाइक एक पेड़ की छांव में खड़ी की और हम झरने की ओर बढ़ने लगे। झरने में पानी ज्यादा नहीं था, इसलिए हमने सोचा कि नीचे जाकर पूरे दृश्य का आनंद लिया जाए। नीचे जाने के लिए रास्ता तलाशने में हमें ज्यादा समय नहीं लगा, लेकिन चुनौती यह थी कि लगभग 15 फीट सीधी खड़ी ढलान पर उतरना था।
मैंने पहले खुद नीचे उतरने की तैयारी की ताकि सुरक्षित उतरने का तरीका समझ सकूं। नीचे उतरते समय ज्यादा सहारा नहीं था, सिर्फ चिकने पत्थर थे, जिन पर ध्यान से बैलेंस बनाना जरूरी था। जैसे-तैसे मैं नीचे पहुँच गया और फिर उसे भी नीचे आने के लिए कहा। उसने भी थोड़ा डरते-डरते उतरना शुरू किया। रास्ता मुश्किल था, लेकिन सावधानी से उतरने के बाद हम दोनों आखिरकार नीचे पहुँच गए।
झरने के पास पत्थरों पर बैठकर हम आराम करने लगे। वहाँ का नजारा सचमुच मनमोहक था। हम दोनों ने अपने-अपने मोबाइल निकाले और उस पल को कैमरे में कैद करने लगे। फोटो और वीडियो भर-भर कर खींचे ताकि लौटने के बाद भी उस खूबसूरती को तस्वीरों में महसूस कर सकें। झरने की गूंज, पत्थरों से टकराता पानी, और चारों ओर फैली शांति – यह सब हमारी यात्रा को यादगार बना रहा था। यह पल न केवल हमारी आँखों में बल्कि हमारी यादों में भी हमेशा के लिए बस गया है। जब मैं यह सब लिख रहा हूँ तो मुझे एक-एक पल सब एक के बाद एक याद आ रहे हैं। अभी ऐसा लग रहा है मानों वह वक्त वही काश ठहर गया होता।